मज़हब पता चला, जो मुसाफ़िर की लाश का चुपचाप आधी भीड़ अपने घरों को चली गई|
Category: दर्द शायरी
वही रास्ते वही
वही रास्ते वही मंजिले… ना मुझे ख़बर ना उसे पता…
यूँ ही रंजिशों में
यूँ ही रंजिशों में गुजर गयी.. कभी मैं ख़फ़ा कभी वो खफ़ा..।।
बड़े ही खुबसूरत
बड़े ही खुबसूरत वहम में जिंदगी गुजार दी मैंने, की कहीं तो कोई है जो सिर्फ मेरा है !!
शोहरत की बुलंदी
शोहरत की बुलंदी तो पल भर का तमाशा है, जिस शाख़ पे बैठे हो वो टूट भी सकती है..!!
चाँद ने चाँदनी को
चाँद ने चाँदनी को याद किया; प्यार ने अपने प्यार को याद किया; हमारे पास न चाँद है न चाँदनी; इसलिए हमने अपने प्यारे दोस्त को याद किया।
दिन हुआ है
दिन हुआ है तो रात भी होगी, हो मत उदास, कभी बात भी होगी, इतने प्यार से दोस्ती की है, जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी..
बस एक मोड़
बस एक मोड़ ………. मेरी ज़िंदगी में आया था, फिर इसके बाद …….. उलझती गई कहानी मेरी
बड़ी मुश्किल से
बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने, अपनी आँखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर..
शिकायतों की पाई-पाई
शिकायतों की पाई-पाई जोड़ कर रखी थी मैंने……..उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया………