एक ठहरा हुआ खयाल तेरा, न जाने कीतने लम्हों को रफ्तार देता है..!
Category: दर्द शायरी
दर्द भेजो या दवा
हम ना जीते हैं ना मरते हैं…. दर्द भेजो या दवा भेजो तुम ।
बोलने का अंदाज़
बोलने का अंदाज़ शायराना जरूर है… मेरा, … मगर हर दफा टूटने पर आवाज़ आये, वो आईना नहीं हूँ मैं ।
आधे से कुछ
आधे से कुछ ज्यादा है, पूरे से कुछ कम… कुछ जिंदगी… कुछ गम, कुछ इश्क… कुछ हम…
दिल की धडकनों
दिल की धडकनों में अचानक ये इज़ाफा कैसा….. उसके होंठो पे कहीं नाम हमारा तो नही.
ताल्लुक भी खत्म
काश..! निगाहे फेर लेने से… ताल्लुक भी खत्म हो जाते..!!
अजीब सा दर्द
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों, न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’।।
शुक्र करो कि
शुक्र करो कि दर्द सहते हैं, लिखते नहीं….!! वर्ना कागजों पे लफ्जों के जनाजे उठते…
तारीफ़ करें खुदा
औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में। खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में। और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में। गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।
मुझे भी कुछ
मुझे भी कुछ गहरा सा..!! . . ऐ बेवफा . . जिसे कोई भी पढे., समझ बस तुम सको..!!