हल्की-फुल्की सी है

हल्की-फुल्की सी है जिंदगी… बोझ तो ख्वाहिशों का है…

ईश्क की गहराईयों मे

ईश्क की गहराईयों मे मौजूद क्या है… बस मैं हूँ,तुम हों,और कुछ की जरूरत क्या है…

नादानी भी सच मे

आज कल…की नादानी भी सच मे बेमिसाल हे.. अंधेरा दिल?मे है और लोग दिये मन्दिरों मे जलाते हैं…

सच्चाई बस मेरी

सच्चाई बस मेरी खामोशी में है…. शब्द तो में लोगो के अनुसार बदल लेता हु….

अंदाज कुछ अलग

अंदाज कुछ अलग है, मेरे सोचने का…. सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तो का…

तुम मेरा नाम

शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी, नाज़ से काम क्यूँ नही लेती… … आप, वो, जी, मगर…ये सब क्या है, तुम मेरा नाम क्यूँ नही लेतीं ।

आखरी साँस बाकी

आखरी साँस बाकी है।। आ रहे हो या ले लू।।

उसकी जुस्तुजू उसका

उसकी जुस्तुजू उसका इंतज़ार और अकेलापन, . थक कर मुस्कुरा देता हु जब रोया नहीं जाता

रात भर फोन

रात भर फोन की डिस्प्ले पे चलाई उँगली उनके रुख़सार से जुल्फ़ों को हटाने के लिए

कभी बेवजह भी

कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते

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