अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर, शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे हैं
Category: व्यंग्य शायरी
छोटी छोटी बातें
छोटी छोटी बातें दिल में रखने से बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं
खुश नहीं आजकल
तेरी नाराजगी वाजिब है… दोस्त,….! . . . . मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल,….!!
मोहब्बत कम नहीं होती..!
नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे.. कि यूँ ” खत” को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती..!”
Ab wo aansu
Kaha tha na ke zabt karna.. Ab wo aansu samandar ho gya na…!”
याद से भरा
बालकनी में आराम कुर्सी पर पड़ा हुआ है एक बोरा तुम्हारी याद से भरा।
राज़ की बात है
कमाल का शख्स था, जिसने ज़िंदगी तबाह कर दी; राज़ की बात है दिल उससे खफा अब भी नहीं।
Akele rehne ka
Akele rehne ka bhi ek alag hi sukoon hai, Na kisi ke wapas aane ki ummeed, na kisike chhod jane ka dar!!
तूने तो लाखों की
ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है… मुझे दिलासा तो दे, के अब मेरी बारी है…!!!!
nigahen fer Le
Tu Baar – Baar nigahen fer Le….. Beshaq har baar nigaho me rahega meri Ruh BaNker…..!