अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर,
शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के
चर्चे हैं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर,
शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के
चर्चे हैं
छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं
तेरी नाराजगी वाजिब है… दोस्त,….!
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मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल,….!!
नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे..
कि यूँ ” खत” को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती..!”
Kaha tha na ke zabt karna..
Ab wo aansu samandar ho gya na…!”
बालकनी में आराम कुर्सी पर पड़ा हुआ है एक बोरा तुम्हारी याद से भरा।
कमाल का शख्स था, जिसने ज़िंदगी तबाह कर दी;
राज़ की बात है दिल उससे खफा अब भी नहीं।
Akele rehne ka bhi ek alag hi sukoon hai,
Na kisi ke wapas aane ki ummeed,
na kisike chhod jane ka dar!!
ख़ुदा तूने तो लाखों की
तकदीर संवारी है…
मुझे दिलासा तो दे,
के अब मेरी बारी है…!!!!
Tu Baar – Baar
nigahen fer Le…..
Beshaq
har baar nigaho me rahega
meri Ruh BaNker…..!