कुछ इस कदर बीता है मेरे बचपन का सफर दोस्तों मैने किताबे भी खरीदी तो अपने खिलौने बेचकर
Category: वक़्त शायरी
कभी हमसे भी
कभी हमसे भी बातचीत करने का बहाना कर लो मुझको बुला लो या मेरे पास आना जाना कर लो
इस दौर ए तरक्की में..
इस दौर ए तरक्की में…जिक्र ए मुहब्बत. यकीनन आप पागल हैं…संभालिये खुद को
हँसते हुए चेहरों को
हँसते हुए चेहरों को ग़मों से आजाद ना समझो, मुस्कुराहट की पनाहों में हजारों दर्द होते हैं!
देखेंगे अब जिंदगी
देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट, हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं।
तंग सी आ गयी है
तंग सी आ गयी है सादगी मेरी मुझसे ही के हमें भी ले डूबे कोई अपनी अवारगी में..!!
इस शहर में
इस शहर में मज़दूर जैसा दर-बदर कोई नहीं.. जिसने सबके घर बनाये उसका घर कोई नहीं..
हर बार रिश्तों में
हर बार रिश्तों में और भी मिठास आई है, जब भी रूठने के बाद तू मेरे पास आई है !!
अब इस से बढ़कर
अब इस से बढ़कर क्या हो विरासत फ़कीर की.. बच्चे को अपनी भीख का कटोरा तो दे गया..
चल पड़ा हूँ
चल पड़ा हूँ मगर दिल से ये चाहता हूँ.. उठ के मुझे वो रोक ले और रास्ता ना दे..