वो अनजान चला है जन्नत को पाने की खातिर बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर है|
Category: लव शायरी
जिन्दगी की जेब
बार बार रफू करता रहता हूँ जिन्दगी की जेब… कम्बखत फिर भी निकल जाते हैं खुशियों के कुछ लम्हें… ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है….. ना तो किसी को गम चाहिए और, ना ही किसी को कम चाहिए….!!!
इतना तो किसी ने
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा, जितना मैने सिर्फ सोचा है……
इतना तो किसी
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा, जितना मैने सिर्फ सोचा है……
Koi muskurakar rakh
Koi muskurakar rakh gaya meri kabr’a par mohabbat ka phool; aaj ishq ki aankhon mein khumaar utar aaya hai
Tu wo zaalim
Tu wo zaalim hai jo dil mein rehkar bhi mera na ban saka aur dil wo kaafir, jo mujhme rehkar bhi tera ho gaya
सज़ा-ए-मौत
कुछ लोग सिखाते है मुझे प्यार के क़ायदे कानून, नही जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा-ए-मौत के मुज़रिम हैं…….
Mujh par utri hai
Shor-e-vahshat bhi nahin, tangi-e-daaman bhi nahin mujh par utri hai mohabbat badi tehzeeb ke sath
अदा-ए-हुस्न
अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे.. गुनहगार नज़र को हिजाब आता हे..!
अदा-ए-हुस्न
अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे.. गुनहगार नज़र को हिजाब आता हे..!”