हम सीने से लगा कर रोये ..

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|

एक शब्द है

एक शब्द है दुःख, कहो कई – कई तरह से फेर। दुःख ही दुःख है ज़िंदगी सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।

तुझे ही फुरसत ना थी

तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की, मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..

तलाशी लेकर मेरे

तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम बोलो, बस चंद लकीरों में छिपे अधूरे से कुछ किस्से हैं..

कभी कभी यूँ भी

कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारण… Continue reading कभी कभी यूँ भी

मोहब्बत के रास्ते

मोहब्बत के रास्ते कितने भी मखमली क्युँ न हो… खत्म तन्हाई के खंडहरों में ही होते है…!!

कभी पलकों पे

कभी पलकों पे आंसू हैं, कभी लब पर शिकायत है.. मगर ऐ जिंदगी फिर भी, मुझे तुझसे मुहब्बत है..

ऐ काश ज़िन्दगी भी

ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,, सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…

अब तो पत्थर भी

अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझसे, कहते है अब तो ठोकर खाना छोड़ दे !

ये सुनकर मेरी

ये सुनकर मेरी नींदें उड़ गयी, कोई मेरा भी सपना देखता है…

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