apni apni zabaan

Ishq ki daastaan he pyaare.. apni apni zabaan he pyaare..!

akela hi chala tha

Me akela hi chala tha janibe-e-manzil magar.. Log sath aate gaye aur karavan banta gaya..!

ruk se jate hain

Kadam ruk se jate hain phool biktey dekh kr….. wo aksar kaha krte the mohabbat phool jaisi hai…

मिल जाए मुझे

मिल जाए मुझे सबकुछ” ये दुआ देकर चला गया.. और मुझे बस वो चाहिए था.. जो ये दुआ देकर चला गया…

अब इतना भी

अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा के तुम वक़्त गुज़ारो और हम प्यार समझें ।।।।।

जिन्होंने याद रखा

जिन्होंने याद रखा उनको सलाम जो भूल गए उनका शुक्रिया

हर रात एक

हर रात एक नाम याद आता है, कभी कभी सुबह शाम याद आता है, सोच रहा हू कर लूँ दूसरी मोहब्बत, पर फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है..!!

चेहरे गुलाब नहीं होते

जाने क्यूँ अब शर्म, से चेहरे गुलाब नहीं होते। जाने क्यूँ अब, मस्त मौला मिजाज नहीं होते। पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें। जाने क्यूँ अब चेहरे, खुली किताब नहीं होते।

तारीफ़ करें खुदा

औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में। खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में। और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में। गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।

मुझे भी कुछ

मुझे भी कुछ गहरा सा..!! . . ऐ बेवफा . . जिसे कोई भी पढे., समझ बस तुम सको..!!

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