बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, कि धुल जाए स्याही, ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का मन करता है कभी- कभी।।
Category: मौसम शायरी
चादर की तरह
एक रूह है.. जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… । एक जिस्म है.. सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।
फिजूल बिल्कुल नही
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
हमें मालूम नहीं था
कभी यूँ भी हुआ है हंसते-हंसते तोड़ दी हमने… हमें मालूम नहीं था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें..!!
सब कुछ है
कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं होती……..॥
मोहब्बत की नहीं थी
मुझ पर इलज़ाम झूठा है …. मोहब्बत की नहीं थी…. हो गयी थी
कमबख्त गुम हो गई
हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..! कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से .. !!
बातों बातों में
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..
मतलबों के सलाम हैं
अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं”
यादों की बारिश
हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है साहब, उनकी यादों की बारिश ने काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!