आज फिर बैठे है

आज फिर बैठे है इक हिचकी के इंतज़ार में.. पता तो चले वो हमें कब याद करते है…

अगर फुर्सत मिले तो

अगर फुर्सत मिले तो समझना मुझे भी कभी, तुम्हारी ही उलझनों मे तो उलझा था मैं उम्रभर !!

चलो दौलत की

चलो दौलत की बात करते हैं, बताओ तुम्हारे दोस्त कितने हैं….!!

लाख समझाया उसको

लाख समझाया उसको की दुनिया शक करती है…. मगर उसकी आदत नहीं गयी मुस्कुरा कर गुजरने की.

मुझको ही अपने

मुझको ही अपने पास लौटना पड़ा तुम मेरे इंतजार से आगे बढ़ गए|

हम तो बदनाम हुए

हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं.

कुछ लौग ये सोचकर

कुछ लौग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं पुँछते… कि यै पागल दिवाना फिर कोई शैर न सुना देँ !!

आज टूटा एक तारा

आज टूटा एक तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था। चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।।

अपनी तस्वीर को

अपनी तस्वीर को रख कर तेरी तस्वीर के साथ… मैंने एक उम्र गुज़ारी बड़ी तदबीर के साथ…

ज़रूरी तो नहीं

ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है…

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