कल बहस छिड़ी थी मयखाने में जाम कौन सा बेहतरीन है, हमने तेरे होंठों का ज़िक्र किया और बहस ख़त्म हो गयी…
Category: बेवफा शायरी
बराबर उसके कद के
बराबर उसके कद के यों मेरा कद हो नहीं सकता वो तुलसी हो नहीं सकता मैं बरगद हो नहीं सकता
मोहब्बत करने वालों को
मोहब्बत करने वालों को वक़्त कहाँ जो गम लिखेंगे, ए दोस्तों कलम इधर लाओ इन बेवफ़ाओं के बारे में हम लिखेंगे…..
तुमने कहा भुल जाओ
तुमने कहा भुल जाओ मुझे… हम पुछते है कोन हो तुम…
सुनो.. ना किया करो
सुनो.. ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे.. कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..
ज़माना फूल बिछाता था
ज़माना फूल बिछाता था मेरी राहों में जो वक़्त बदला तो पत्थर है ,अब उठाए हुए
लफ्ज तेरे मिठे ही
लफ्ज तेरे मिठे ही लगते है.. आंख पढु तब दर्द समझ आता है..
उनकी महफ़िल में
उनकी महफ़िल में हमेशा से यही देखा रिवाज़…. आँख से बीमार करते हैं, तबस्सुम से इलाज़।।
आ भी जाओ
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम, ख़्वाबों में तुझे और कितना तलाशा जाए !!
तासीर किसी भी
तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीँ होती गालिब. , वजह यही है कि आँसू भी नमकीन होते है..