गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है… इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!
Category: दोस्ती शायरी
तू बेइन्तेहा बरस के
तू बेइन्तेहा बरस के तो देख।। मिट्टी का बना हूं, महक उठुंगा।।
मुमकिन नहीं है
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से लिखना……….!! मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख लो…….!!
बड़े अजीब हैं
बड़े अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते, अनजाने मोड़ पर कुछ लोग दोस्त बन जाते हैं. मिलने की खुशी दें या न दें, बिछड़ने का गम जरुर दे जाते हैं…!!
रूह तेरे जिस्म में
उठाइये हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़ तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था
कैसे सबूत दूँ
कैसे सबूत दूँ तुझे मेरी मोहब्बत का…?? फूलों की महक देखनी हो….. तो जज़्बात की निग़ाह चाहिये….!!
लिखा जो ख़त
लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर, डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..
पेड़ को नींद नहीं आती
पेड़ को नींद नहीं आती… जब तक आख़री चिड़िया घर नहीं आती…
ये सुनकर मेरी
ये सुनकर मेरी नींदें उड़ गयी,,, कोई मेरा भी सपना देखता है…
अपनी हालात का
अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको मैंने दोस्तो से सुना है कि परेशान हूं मैं|