पूरी दुनिया घूम लें लेकिन उन गलियों से प्यारी कोई जगह नही होती जहाँ आपका बचपन गुज़रा है।
Category: दर्द शायरी
कभी कभी लंगड़े घोड़े पे
कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है क्योंकी दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नज़दीक लगने लगती है..!
कुछ तो वजह होगी
कुछ तो वजह होगी जो दिल प्यासा हीं रह गया… यूं तो अश्क बहते रहें लबों को छु छु कर..
लफ्ज बड़े बेईमान है
लफ्ज बड़े बेईमान है यार, मरहम देने के लिए ख़त लिखा, चोट दे आये….
फुर्सत के लम्हे
कुछ फुर्सत के लम्हे चुरा लाया हूँ अपने लिए… ! आओ वार दूँ वक्त को , नजर उतारने के लिए… !!
बिछड़ के भी
बिछड़ के भी वो रोज मिलते है हमसे ख्वाबों में…. ये नींद न होती तो हम कब के मर गये होते….
मैं मान जाऊँगा
मैं मान जाऊँगा, तुम तबियत से मनाओ तो सही। तुम्हे फ़र्क़ पड़ता है, ये बात अपने लहज़े में लाओ तो सही
जब इत्मीनान से
जब इत्मीनान से, खंगाला खुद को, थोड़ा मै मिला, और बहुत सारे तुम…
तुझे गुमान है
ऐ समंदर! तुझे गुमान है अपने कद पर… मैं नन्हा सा परिंदा तेरे ऊपर से गुज़र जाता हूँ!
कौन शर्मा रहा है
कौन शर्मा रहा है यूं फुर्सत में हमें याद कर कर के, हिचकियाँ आना चाह रही हैं पर हिचकिचा रही हैं।