चांद की तरह

तू बिल्कुल चांद की तरह है… ए सनम.., नुर भी उतना ही.. गरुर भी उतना ही.. और दूर भी उतना ही.!.

मुसकुराहटे झुठी भी

मुसकुराहटे झुठी भी हुआ करती है, देखना नहीं समझना सीखो…

कभी इतना मत

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!

इज्ज़त हो या धोखा

जैसा दोगे वैसा ही पाओगे.. फ़िर चाहे इज्ज़त हो या धोखा..!!

उस मोड़ से

उस मोड़ से शुरू करें चलो फिर से जिंदगी हर शय हो जहाँ नई सी और हम हो अज़नबी

वो शक्स रोज

वो शक्स रोज देखता है डूबते हुये सूरज को काश हम भी किसी शाम का मंजर होते

मासूमियत का कुछ

मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे सनम का, उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….

बड़ी बेवफ़ा हो जाती

बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में। पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।

एक ख़्वाब ने

एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं…. क्या मोड़ आया है कहानी मैं….. वो भीग रही है बारिश मैं……….. और आग लगी है पानी मैं……!

एक सूत्र में बँधी

झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।

Exit mobile version