फिर कोई मोड़ लेने वाली है

फिर कोई मोड़ लेने वाली है ज़िन्दगी शायद, अब के फिर हवाओं में एक बे-करारी है।

मुद्दत के बाद

मुद्दत के बाद उसने जो आवाज दी मुझे… कदमों की क्या बिसात, साँसें ही थम गयी…!!!

ज़िन्दगी सुन तू यही

ज़िन्दगी सुन तू यही पे रुकना…!! हम हालात बदल के आते है….

नसीब में नही होता

जिनका मिलना नसीब में नही होता। उनसे मुलाक़ात कमाल की होती है।

दौलत की दीवार में

दौलत की दीवार में तब्दील रिश्ते कर दिये, देखते ही देखते भाई मेरा पडोसी हो गया।

और थोड़ा सा

और थोड़ा सा बिखर जाऊँ ..यही ठानी है….!!! ज़िंदगी…!!! मैं ने अभी हार कहाँ मानी है….

दुनिया से बेखबर

दुनिया से बेखबर चल कही दूर निकल जाये

ख़ुदकुशी करने वाले

ख़ुदकुशी करने वाले को इक भरम ये है… जो भी होगा उसके बाद सब अच्छा होगा…!!

वो देखें इधर तो

वो देखें इधर तो उनकी इनायत, ना देखें तो रोना क्या, जो दिल गैर का हो, उसका होना क्या, ना होना क्या…

ग़म मिलते हैं

ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी… ये बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया…

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