कुछ छीन चुका हैं

ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मत छिनना तू क्यों की वक्त बहुत कुछ छीन चुका हैं….

इक नज़र ही

इक नज़र ही देखा था शौक़ ने शबाब उन का दिन को याद है उन की रात को है ख़्वाब उनका गिर गए निगाहों से फूल भी सितारे भी मैंने जब से देखा है आलम -ए-शब उन का

किसी ने इश्क किया

शौक था अपना-अपना.. किसी ने इश्क किया, तो कोई जिंदा रहा…

मेरी आखरी सरहद

वो मेरी आखरी सरहद हो जैसे, सोच जाती ही नहीं उस से आगे…

मुम्किन नहीं है

मुम्किन नहीं है ऐसी घड़ी कोई बना दे- जो गुज़रे हुए वक़्त के घण्टों को बजा दे

समझने को वक़्त

इश्क़ के समझने को वक़्त चाहिए जानाँ दो दिनों की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलती

मेरा होकर भी

मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता है, दिल भी साला मसला-ऐ-कश्मीर लगता है

नाम छोटा है

नाम छोटा है, मगर दिल बडा रखता हू, पैसो से ऊतना अमिर नही हु मगर अपने यारो के गम खरिदने कि हैसीयत रखता हू. मुझेना हुकुम का ईक्का बनना है ना राणी का बादशाह. हम जोकर ही अच्छे है जिस्के नशीब मे आयेंगे बस उसकी बाजी पल्टा देंगेँ

ना खुशी खरीद पाता हूँ

ना खुशी खरीद पाता हू ना ही गम बेच पाता हू फिर भी मै ना जाने क्यु हर रोज कमाने जाता हूँ

सुकून नहीं है

स्वर्ग में  सब कुछ है लेकिन मौत नहीं है, गीता में सब कुछ है लेकिन झूठ नहीं है, दुनिया में सब कुछ है लेकिन किसी को सुकून नहीं है, और आज के इंसान में सब कुछ है लेकिन सब्र नहीं  है

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