लफ्ज़ जब बरसते हैं

लफ्ज़ जब बरसते हैं, बन कर बूँदें मौसम कोई भी हो, मन भीग ही जाता है

शक़ की आँच

जब शक़ की आँच पर रिश्ते उबलते हैं तब प्यार भाप बन कर उड़ जाता है..!

तोड़ दो ना

तोड़ दो ना वो कसम जो खाई है… कभी कभी याद कर लेने में क्या बुराई है…

कर्मो का तूफ़ान

कर्मो का तूफ़ान भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है, कर्मो का तूफ़ान पैदा करे सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!

अब तो शायद

अब तो शायद ही मुझसे मोहब्बत करे कोई.. मेरी आँखो मे तुम साफ नजर आते हो..?

तुम रात सी

तुम रात सी…मैं भोर सा… तुम मंजिल मेरी…मैं इंतजार सा…

मोहताज नही होते

मुलाक़ातें तो आज भी हो जाती है तुमसे,.क्योकी ख़्वाब किसी ताले के मोहताज नही होते

जाने ये कैसा ज़हर

जाने ये कैसा ज़हर दिलों में उतर गया।। परछाईं ज़िंदा रह गई इंसान मर गया।

छोटी सी कहानी

मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं थी , पन्ने को जल्दी पलट गए हो तुम…..

उससे बिछड़े तो

उससे बिछड़े तो मालूम हुआ की मौत भी कोई चीज़ है ‘फ़राज़’ ज़िन्दगी वो थी जो हम उसकी महफ़िल में गुज़ार आए !!

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