अऩजान अपने आप से वह शख्स रह गया, जिसने उम्र गुजार दी औरों की फिक्र में…!!!
Category: गुस्ताखियां शायरी
जब से छूटा है
जब से छूटा है गांव वो मिट्टी की खुशबू नहीं मिलती, इस भीड़ भरे शहर में अपनों की सी सूरत नहीं मिलती।
भाग्य के दरवाजे
भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है, कर्मों का तूफान पैदा करें, दरवाजे अपने आप खुल जायेंगे।
भुजाओं की ताकत
भुजाओं की ताकत खत्म होने पर, इन्सान हथेलियों में भविष्य ढूंढता है।
रह जाती है
रह जाती है कई बातें अक्सर अनकही,शब्दों से जब कट्टी हो जाती है…
पूरी दुनिया घूम लें
पूरी दुनिया घूम लें लेकिन उन गलियों से प्यारी कोई जगह नही होती जहाँ आपका बचपन गुज़रा है।
कभी कभी लंगड़े घोड़े पे
कभी कभी लंगड़े घोड़े पे दाव लगाना ज्यादा सही होता है क्योंकी दर्द जब जूनून बन जाए तब मंजिल बहुत नज़दीक लगने लगती है..!
कुछ तो वजह होगी
कुछ तो वजह होगी जो दिल प्यासा हीं रह गया… यूं तो अश्क बहते रहें लबों को छु छु कर..
जब इत्मीनान से
जब इत्मीनान से, खंगाला खुद को, थोड़ा मै मिला, और बहुत सारे तुम…
किताबों की तरह
किताबों की तरह हैं हम भी…. अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश…