तराजू मोहब्बत का

तराजू मोहब्बत का था बेवफाई भारी पड गयी|

आप ने तीर चलाया

आप ने तीर चलाया तो कोई बात न थी… ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…

कोई मरहम लगाने वाला

कोई मरहम लगाने वाला नहीं था … और जख्म जल्दी भर गये ..

छूते रहे वो

छूते रहे वो दिल मेरा गज़ल की आग से, जलते रहे हम रातभर शायर की बात से|

एक तरफा ही

एक तरफा ही सही…प्यार तो प्यार है…, उसे हो ना हो…लेकिन मुझे बेशुमार है…!

लफ़्ज़ों पे वज़न

लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब हलके से इशारे पे ही,, ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं|

रात गुज़र जाती है

रात गुज़र जाती है तेरी यादों में अक्सर,सुबह मसरूफ हो जाते हैं फिर से तुझे भुलाने में!

मैं उसके लिए

मैं उसके लिए अहम था शायद यही मेरा सबसे बड़ा वहम था|

जब से मैं ने

जब से मैं ने गुफ्तगू मॆ झूठ शामिल कर लिया, मेरी बातो का बुरा अब कोई नही मानता…..

दिल-ए-मासूम

दिल-ए-मासूम पे क़ातिलाना हमले, अपनी आँखों से कहो ज़रा तमीज़ से रहें.. !

Exit mobile version