सोनेरी संध्या…

सोनेरी संध्या.. उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो खर्च करने से पहले कमाया करो ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे बारिशों में पतंगें उड़ाया करो दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर नीम की पत्तियों को चबाया करो शाम के बाद जब तुम सहर देख लो कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो अपने सीने… Continue reading सोनेरी संध्या…

शायरी क्या है मुझे पता नहीं …

शायरी क्या है मुझे पता नहीं, मै नग्मों की बंदिश जानता नहीं, मै जो भी लिखता हूँ, मान लेना सब बकवास है, जो कुछ भी हैं ये कैद इन अल्फाजों में, बस ये मेरे कुछ दर्द और मेरे कुछ ज़ज्बात हैं.

सुना है !

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त है उसको ख़राब हालों से सो अपने आप को बरबाद करके देखते हैं सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उसकी सो हम भी उसकी गली से गुज़र कर देखते हैं सुना है… Continue reading सुना है !

Khuda Mehrban Hai

Lagta hai mera khuda mehrban hai mujhper … meri duniya me teri maujudgi yunhi to nahi hai ..

तेरी जगह आज भी

तेरी जगह आज भी कोई नही ले सकता खूबी तूजमे नही कमी मुझमें है

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