मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी… बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं…
Author: pyarishayri
किराए की साइकिल
एक दो रूपये देकर किराए की साइकिल चलाने का सुख, तुम क्या जानो पल्सर वाले बाबू।
मुझे दोस्तों के साथ देखकर लौट जाते है गम!
मुझे दोस्तों के साथ देखकर लौट जाते है गम, कहते है, “इस का कुछ बिगाड नहीं सकते हम!
लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ।
माँ लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ। दुःख थे पर्वत, राई माँ हारी नहीं लड़ाई माँ। इस दुनिया में सब मैले हैं, किस दुनिया से आई माँ। दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागर्म रजाई माँ। जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई माँ। बाबू जी तनख़ा लाए बस, लेकिन बरक़त लाई माँ। बाबूजी के पांव दबा कर, सब तीरथ हो आई माँ।… Continue reading लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ।
तुम पे लिखना शुरु कहा से करु
तुम पे लिखना शुरु कहा से करु, अदा से करु या हया से करु, तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है, पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु…
न सफारी में नज़र आयी और न ही फरारी में
न सफारी में नज़र आयी और न ही फरारी मेँ…… जो खुशी बचपन मेँ साइकिल की सवारी में नज़र आयी।
बचपन भी कमाल का था।
बचपन भी कमाल का था। खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी ..!!
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है।
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है, जो तू कुबूल है, तो तेरा सब कुछ कुबूल है..
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा।। मगर सब टुट गया तेरे रूठने के बाद।।
ज्यादा कुछ नहीं बदला
ज्यादा कुछ नहीं बदला उसके और मेरे बीच में..!! पहले नफरत नहीं थी अब मोहब्बत नहीं हैं..!!!