हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं। तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं।
Author: pyarishayri
तनहाई से नही
तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं … जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
रंग कितने अजीब है
तकदीर के रंग कितने अजीब है, अनजाने रिश्ते है फिर भी हम सब कितने करीब हैं !
तेरी जगह आज भी
तेरी जगह आज भी कोई नही ले सकता खूबी तूजमे नही कमी मुझमें है
फूलों की तरह
हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं। तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं।
तनहाई से नही
तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं … जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
रंग कितने अजीब है
तकदीर के रंग कितने अजीब है, अनजाने रिश्ते है फिर भी हम सब कितने करीब हैं !
घर ढूंढ़ता है
कोई छाँव, तो कोई शहर ढूंढ़ता है मुसाफिर हमेशा ,एक घर ढूंढ़ता है।। बेताब है जो, सुर्ख़ियों में आने को वो अक्सर अपनी, खबर ढूंढ़ता है।। हथेली पर रखकर, नसीब अपना क्यूँ हर शख्स , मुकद्दर ढूंढ़ता है ।। जलने के , किस शौक में पतंगा चिरागों को जैसे, रातभर ढूंढ़ता है।। उन्हें आदत नहीं,इन… Continue reading घर ढूंढ़ता है
खुदा से मोहब्बत है
तुमसे नहीं तेरे अंदर बैठे खुदा से मोहब्बत है मुझे, तू तो फ़क़त एक ज़रिया है मेरी इबादत का!
मौका दे दे
गालिब ने भी क्या खूब लिखा है… दोस्तों के साथ जी लेने का मौका दे दे ऐ खुदा… तेरे साथ तो मरने के बाद भी रह लेंगें ।