जिम्मेदारिया जब कंधो पर पडती है, तो अक्सर बचपन याद आता है..
Tag: Zindagi Shayri
ये खामोश मिजाजी
ये खामोश मिजाजी तुम्हे जीने नहीं देगी, इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो।
आंखें भीग सी गई
आंखें भीग सी गई है लगता है आज फिर तू सोने नहीं देगी..
महंगाई का आलम
महंगाई का आलम ना पूछो दोस्तों घर क्या ले जाना है, जानबूझ के भूल जाता हूँ!!
हम मोहब्बत में
हम मोहब्बत में दरख्तों की तरह हैं… जहाँ लग जायें वहीं मुद्दतों खड़े रहते हैं…!!
स्कूल खत्म हुए तो
स्कूल खत्म हुए तो रस्ते अलग हुए फिर उसके बाद कभी हम मिले नहीं..!
जिस जिस ने मुहब्बत में
जिस जिस ने मुहब्बत में अपने महबूब को खुदा कर दिया..! . खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए उनको जुदा कर दिया..!!
थोड़ा बचा हूँ
थोड़ा बचा हूँ, बाकि हिसाब हो चुका है.. बहुत कुछ है, जो मुझमें राख़ हो चुका है..
वो जग़ह मुझे
वो जग़ह मुझे अब भी अज़ीज़ है.. जहाँ मुझे उजाड़ कर बस गए हैं लोग कई..
सोते हुए भी
सोते हुए भी तेरा ज़िक्र करते हैँ……..! मेरे होठ भी तेरी फिक्र करते हैँ……