नाम ही काफी है

हथियार तो सिर्फ शौक के लिए रखते है, ख़ौफ़ के लिए तो बस नाम ही काफी है

जिन्दगी मे तन्हा

जिन्दगी मे तन्हा चल रहा हूँ तो क्या हुआ, जनाजे मे सारा शहर होगा ,देख लेना।

लफ्ज ढुढंने पङेगें

अब की बार बना लेगें खामौशी को अपना अदाँज-ए-बंया.. ना कोई लफ्ज ढुढंने पङेगें,, ना किसी को नागंवार गुजरेगा……!!!!

प्यारे से दोस्त

एक काम करना,थोड़ी सी मिट्टी लेना, उससे दो प्यारे से दोस्त बनाना। इक तुझ जैसा….एक मुझ जैसा…. फिर उनको तुम तोड़ देना। फिर उनसे दोबारा दो दोस्त बनाना, इक तुझ जैसा…एक मुझ जैसा… ताकि तुझ में कुछ-कुछ मैं रह जाऊँ और मुझ में कुछ-कुछ तुम रह जाओ। कुछ तुम जैसा कुछ मुझ जैसा..

ना खुशी खरीद पाता हू

ना खुशी खरीद पाता हू ना ही गम बेच पाता हूँ फिर भी मै ना जाने क्यु हर रोज कमाने जाता हूँ

थोड़ा और सब्र होता

वक़्त ने कहा, काश थोड़ा और सब्र होता… सब्र ने कहा, काश थोड़ा और वक़्त होता

मुस्कुराहट ऊधार दे दे

थोडी मुस्कुराहट ऊधार दे दे मुझे ऐ ज़िन्दगी, कुछ ‘अपने’ आ रहे हैं मिलने की रस्म अदा करनी है ..

तु भी कारीगर निकला

खुदा तु भी कारीगर निकला.. खीच दी दो-तीन लकीरें हाथों में.. ये भोला आदमी उसे तकदीर समझ बैठा !!

दिन के उजाले

शायद दिन के उजाले से सहम जाती है… तभी रात, शाम के पीछे-पीछे आती है

सच कहता हूँ

ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं हैं !

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