थोड़ी सी नाराजगी

चलो आज दफन करते हैं थोड़ी सी नाराजगी और निकालते हैं मोहब्बत साथ वाली कब्र से

ओस की बूंदे

ओस की बूंदे है, आंख में नमी है, ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है ये कैसा मोड है जिन्‍दगी का जो लोग खास है उन्‍की की कमी हैं

खुद कमाना पड़ता है

“नाम” और “बदनाम” में क्या फर्क है ? “नाम” खुद कमाना पड़ता है , और “बदनामी” लोग आपको कमा के देते हैं!

रिश्ता क्यों बनाते है…

बहुत जोर लगाने पर भी एक बात हम समझ नहीं पाते है, जब लोगों के पास हमारे लिए वक्त नहीं है,तो वो हमसे रिश्ता क्यों बनाते है…

बड़ा इतराते फिरते थे

अर्ज़ किया हैं… बड़ा इतराते फिरते थे वह अपनें हुस्न-ए-रुखसार पर मायूस बैठे हैं जबसे देखी हैं अपनी तस्वीर आधार कार्ड पर

खत्म हो भी

खत्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू.. ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही..

भाग्य के दरवाजे

भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है, कर्मो का तूफ़ान पैदा करे सारे दरवाजे खुल जायेंगे.! परिस्थितिया जब विपरीत होती है, तब “प्रभाव और पैसा” नहीं “स्वभाव और सम्बंध” काम आते है।

रिश्तों का वजन

क्या होता है रिश्तों का वजन.. उन कन्धों से पूछो, जिन्होंने अर्थी उठाई है.

नकाब क्या उतरा

उनके खूबसूरत चेहरे से, नकाब क्या उतरा… जमाने भर की नीयत,, बे-नकाब हो गयी….

रात कि तन्हाई

रात कि तन्हाई में अकेले थे हम, दर्द कि महफ़िलो में रो रहे थे हम, आप भले ही हमारे कुछ नहीं लगते, फिर भी आपके बिना अधूरे लग रहे हे हम.

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