अजीब तरह से

अजीब तरह से गुजर रही हैं जिंदगी…!!! सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ..!!!

इश्क़ का रंग

इश्क़ का रंग और भी गुलनार हो जाता है…. जब दो शायरों को एक दुसरे से प्यार हो जाता है|

शाख़ पर रह कर

शाख़ पर रह कर कहाँ मुमकिन था मेरा ये सफ़र, अब हवा ने अपने हाथों में सँभाला है मुझे…

सभी के अपने मसाइल

सभी के अपने मसाइल सभी की अपनी अना, पुकारूँ किस को जो दे साथ उम्र भर मेरा…

मैं तेरी कोई नहीं

मैं तेरी कोई नहीं मगर इतना तो बता , ज़िक्र से मेरे, तेरे दिल में आता क्या है ..!!

तुम न जाने किस किस को

तुम न जाने किस किस को अच्छे लगते हो, मेरे लिए तो तुम बस मुझे अपने लगते हो !!

आख़िरश दौड़ में

आख़िरश दौड़ में वोही जीता उसकी बैसाखियाँ सुनहरी थी|

जरा अपना ध्यान

जरा अपना ध्यान रखना दोस्तो…., सुना है इश़्क इसी मौसम में शिकार करता है|

आदत हुई भी

आदत हुई भी तो उसकी हुई.. जिससे तमाम उम्र हम परहेज करते रहे..!

चलते चलते थक कर

चलते चलते थक कर पूँछा पाँव के ज़ख़्मी छालों ने…. बस्ती कितनी दूर बना ली दिल में बसने वालों ने….

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