वक़्त को मेरी फ़िक्र थी..

वक़्त को मेरी फ़िक्र थी.. उसे शायद ये पता नहीं था.. की वो भी गुज़र रहा है..!!

सिर्फ पढने भर का

सिर्फ पढने भर का रिश्ता मत रखिये कभी खैरियत भी तो पूछ लिया कीजिये..!!

यूँ ही आँखें

यूँ ही आँखें किसी की नम नहीं होतीं। दिल टूटता है पहले, फिर बनते हैं मोती।

मैं आदमी हूँ

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

जो गुज़ारी न जा सकी

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

ज़िंदगी जिनसे हो

ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद

जो कुरेद कर

जो कुरेद कर दिवार पे तुम्हारा नाम लिखा था, ज़िन्दगी की सबसे लम्बी कहानी वही तो थी।

कहाँ सब को आता है

मौत तो सब को आती है, जीना कहाँ सब को आता है ?

बस वो मुस्कुराहट

बस वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है, बाकी तो मैं बहुत खुश हूँ आजकल…

अब गिला क्या करना ..

अब गिला क्या करना ..उनकी बेरुखी का .. दिल ही तो था भर गया होगा …

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