सज़ा-ए-मौत

कुछ लोग सिखाते है मुझे प्यार के क़ायदे कानून, नही जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा-ए-मौत के मुज़रिम हैं…….

Dosti Kam Na Ho

Zindgi Gujar Jaye Par…. Dosti Kam Na Ho, Yaad Hame Rakhana, Chahe Paas Ham Na Ho, Qayamat Tak Chalta Rahe Dosti Ka ye Safar, Dua Karo Kabi ye …… RISHTA Khatam Na ho…

किसी की कदर

सीख जाओ वक्त पर किसी की कदर करना… शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में इतने अकेले रह गए है कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार दोस्त भी नहीं बचे”

जिंदगी के रूप में

जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!!!

कभी मोहब्बत के

वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।

कहानियाँ लिखने लगा

कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!! शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!

कौन कहता हे

कौन कहता हे भगवान आते नहीं तुम मीरा के जेसे बुलाते नहीं

ना मिला सुकून

ना मिला सुकून तो खतम ज़िन्दगी कर ली, नदी ने जाकर समंदर में खुदखुशी कर ली…!!!

सीख जाओ वक्त

सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना… कहीं कोई थक ना जाये तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते..!!

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