उसे ज़ली हुई लाशें

उसे ज़ली हुई लाशें नज़र नही आती मग़र वह सुई से धागा गुज़ार देता है

ज़ख्म इतने गहरे हैं

ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशान बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुलो रही आँखें; अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें!

मीठी यादों के साथ

मीठी यादों के साथ गिर रहा था, पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…

यू तो फूल बहूत थे

यू तो फूल बहूत थे बागो मे पर हमे पंसद वो था जो सब से अकेला था..!!!!

कोई पटवारी वाकिफ़ है

कोई पटवारी वाकिफ़ है क्या तुम्हारा, अपनी ज़िन्दगी तुम्हारे नाम करवानी थी

मुझे निकाल कर

मुझे निकाल कर वो शख़्स मेरे घर में रहा , जिस की शोहरत के लिए मैं सदा सफ़र में रहा…!

रात भर बातें करते हैं

रात भर बातें करते हैं तारे रात काटे किधर कोई तनहा…

रिश्ते कभी जिंदगी के साथ

रिश्ते कभी जिंदगी के साथ साथ नहीं चलते…​ ​रिश्ते एक बार बनते हैं… फिर जिंदगी रिश्तो के साथ साथ चलती है… !​

ख़ुद अपना ही साया

ख़ुद अपना ही साया डराता है मुझे, कैसे चलूँ उजालों में बेख़ौफ़ होकर?

मिटती है भूख

मिटती है भूख इनके ही दम से जहान की ताक़त है कितनी देखिये लोगो किसान में….

Exit mobile version