ख़रीद सको न जिसको दौलत लूटा कर भी बिक जाता है वो तो केवल एक मुस्कान में !
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सितम याद आ रहा है
सितम याद आ रहा है रह रहकर.. मोहब्बत में कितने ज़ालिम सा था वो….
कभी आती है
कभी आती है हँसी खुद पर कभी खाली जेब पर हँसी आती है|
जान निकल जाती है
टूटकर चाहना और फिर टूट जाना, बात छोटी है मगर जान निकल जाती है…..
ज़रा सी ढंग की रोटी
ज़रा सी ढंग की रोटी क्या मांग ली देश के सिपाही ने… सरकार ने तो बन्दुक ही छीन ली…
तमाम लोगों को
तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी, कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है।
छीनकर हाथों से
छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली, कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।
मुझे देखो न इस तरह
मुझे देखो न इस तरह गहरी निगाह से तुम….!!! दिल डूबने सा लगता है मोहब्बत के ख्य्याल से
रंजिश ही सही
रंजिश ही सही , दिल को दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे , छोड़ जाने के लिए आ…..
जिस जिस ने
जिस जिस ने मुहब्बत में, अपने महबूब को खुदा कर दिया, खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको जुदा कर दिया