थोड़ी सी तकलीफ

थोड़ी सी तकलीफ थोड़ी सी तन्हाई रहती है हरदम.. हां…मैं उसकी यादों के बाजार में टहलता हूँ।

बात मोहब्बत की थी

बात मोहब्बत की थी, तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे……!जिस्म से प्यार होता तो….तुझ से भी हसीन चेहरे बिकते है,बाजार में….!!

धड़कनें गूंजती हैं

धड़कनें गूंजती हैं सीने में इतने सुनसान हो गए हैं हम…

बड़े सुकून से

बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना, जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे…

कोई ऐसी सुबह भी

कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे, के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से..

जो तालाबों पर

जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ… वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते..!!!

बस यही सोच कर

बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…

एक मुद्दत से

एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…! एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!

मुड़कर नहीं देखता

मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद , कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।

लगने दो आज महफिल …

लगने दो आज महफिल …. शायरी कि जुँबा में बहते है .. तुम ऊठा लो किताब गालिब कि …. हम अपना हाल ए दिल कहते है

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