जज़्बात का बीज

जज़्बात का बीज बोया था कागज़ की ज़मीन पर कुछ गज़लें फूटी है लफ़्ज़ मेरे लहरा रहे हैं कागज़ के खेतों में ..!!

मत जियो उसके लिए

मत जियो उसके लिए जो दुनिया के लिए खूबसूरत हो, जियो उसके लिए जो तुम्हारी दुनिया खूबसूरत बनाये…!

फासलों का एहसास

फासलों का एहसास तो तब हुआ…!! जब मैनें कहा “मैं ठीक हूँ” और ‘उसने’ मान भी लिया…!

हमारी बर्बादी की वजह

हमारी बर्बादी की वजह तो सुनिए साब बडे मजे की है.. हम अपनी ज़िन्दगी से यूँ खेलते रहे.. जैसे दूसरे की है

कुछ इस तरह लिपटा पड़ा है

कुछ इस तरह लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे सवेरा है फ़िर भी मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ !

शौक़ से छोड़ के

शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी। जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं।

अपने साथ मेरी नींद भी

अपने साथ मेरी नींद भी ले गए, फिर ये साँसों पर मेहरबानी क्यों…

तुमसे नहीं होगा

तुम मत करो रातों को जागने की कोशिश बेवफा हो तुमसे नहीं होगा !!

मोहब्बत रूह में

मोहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है ….. ताल्लुक कम करने से मोहब्बत कम नहीं होती….

हज़ार महफ़िलें है….

हज़ार महफ़िलें है…. लाख मेले है…. जब तक तू ना मिले….. हम अकेले ही है…..

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