माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे… पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।
Tag: Pyari Shayari
उन रस भरी आँखों में
उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है दो ज़हर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है|
अपने मेहमान को
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है गरीबी जानती है घर में बिछौने कम है…
आंखें अपनी साफ़ तो रखिये
आंखें अपनी साफ़ तो रखिये ज़रा.. उन में खुद को देखता है आइना.!
हर रंग लगा के
हर रंग लगा के देखा चेहरे पर रंग उदासी का उतरा ही नही..!!
रोज़ सहतीं हैं
रोज़ सहतीं हैं जो कोठों पे हवस के नश्तर हम “दरिन्दे” न होते, तो वोह माँए होतीं .. ..
जब मेरी नब्ज देखी
जब मेरी नब्ज देखी हकीम ने तो ये कहा, कोई जिन्दा है इस मे.. मगर ये मर चुका है…!
उसके हर झूठ को
उसके हर झूठ को ,सच से भी ज्यादा सच, मानता था मैं,वो एक अनबुझा ज़हर थी ,जिसे अपनी दवा जानता था मैं….
कभी कभी लेते है
कभी कभी लेते है तबादला नफरतो से मुसकुराहटे जब जिद्द पे आ जाऐ!
गुम अगर सूई भी
गुम अगर सूई भी हो जाए तो दिल दुखता है और हमने तो मुहब्बत में तुझे खोया था…