मेरे लफ्ज़ भी

मेरे लफ्ज़ भी खामोश है, उसकी ख़ामोशी भी बोलती है..।।

रख अपने कानो को

रख अपने कानो को मेरे दिल पर.. ये धड़क नहीं सिसक रहा है…

हर किसी के आगे

हर किसी के आगे यूँ खुलता कहाँ है अपना दिल सामने दीवानों को देखा तो दीवाना खुला

वफ़ाई और बेवफाई

वफ़ाई और बेवफाई, क्रमशः नदियां और समंदर है… कितनी भी नदियां मिल जाए, समंदर खारा ही रहता है…

वैसे तो बहुत है मेरे पास

वैसे तो बहुत है मेरे पास, कहानियों के किस्से… पर खत्म हुए किस्सों में, खामोशियाँ ही बेहतर…

कम्बख़त शराब भी

कम्बख़त शराब भी आहिस्ता आहिस्त जान लेती है, शाम तलक गले लगाती है सुबह ज़िंदा छोड़ जाती है..!!

तेरे वादे तु ही जाने

तेरे वादे तु ही जाने. मेरा तो आज भी वही कहना है , *जिस दिन साँस टूटेगी उस दिन ही तेरी आस छूटेगी|

देखा है क़यामत को

देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|

हसरतें थीं जीने वाली

हसरतें थीं जीने वाली, जी गईं; मरने वाला था दिल अपना, मर गया!

आज फिर रात बड़ी नम सी है

आज फिर रात बड़ी नम सी है आज तुम याद फिर बहुत आए|

Exit mobile version