कम्बख़त शराब भी आहिस्ता आहिस्त जान लेती है,
शाम तलक गले लगाती है सुबह ज़िंदा छोड़ जाती है..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कम्बख़त शराब भी आहिस्ता आहिस्त जान लेती है,
शाम तलक गले लगाती है सुबह ज़िंदा छोड़ जाती है..!!