आदमी सुनता है

आदमी सुनता है मन भर , सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर,,” और खुद ग्रहण नही करता कण भर।

तेरे जज्बे को

ए जिंदगी तेरे जज्बे को सलाम.. पता है मंज़िल मौत है फिर भी दौड़ रही है..

लाजमी नही है

लाजमी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले “” किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है ||

कितने खुबसूरत हुआ

कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन…. के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी….

अब किसी और के

अब किसी और के वास्ते ही सही, तेरे मुस्कुराने के अंदाज़ वैसे ही हैं…

मैने खत को देखा

मैने खत को देखा और रख दिया बिना पढे हुए मै… जानता हु उसमे भुल जाने का मशवरा होगा…

ये लफ़्ज़ों की

ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम; मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।

लोग गिरते नहीं थे

लोग गिरते नहीं थे नज़रों से..!! इश्क़ के कुछ उसूल थे पहले..

अजीब खेल रचाया है…..

पानी ने भी क्या अजीब खेल रचाया है…..! “जिसके खेत सूखे-सूखे से थे “पानी” उसी की आखों में नज़र आया है….!

मौत मेरी हो गयी

मौत मेरी हो गयी किसने कहा झूंठ है आकर सरासर देख लो

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