सोचा भी न था

सोचा भी न था ऐसे लम्हों का सामना होगा मंजिल तो सामने होगी पर रास्ता न होगा !!

लफ्ज़ बीमार से

लफ्ज़ बीमार से पड़ गये है आज कल….. एक खुराक तेरे दीदार की चाहिए|

गलती पर साथ छोड़ने वाले तो

गलती पर साथ छोड़ने वाले तो बहुत मिले, गलती पर समझा कर साथ निभाने वाले की ज़रूरत है |

अंतिम लिबास देखके

अंतिम लिबास देखके घबरा न इस कदर ,, रंगीनियाँ तो देख लीं सादा कफन भी देख..!!

किसको बरदाश्त है

किसको बरदाश्त है खुशी आजकल दूसरो की लोग तो मय्य़त की भीङ देखकर भी जल जाते है ||

अपनी कमजोरियो का जिक्र

अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न करना जमाने से. लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…

कुछ रिश्तों में

“कुछ रिश्तों में शक्कर कम थी …. कुछ अंदर से हम कड़वे थे ।।

मुझसे मौत ने पुछा

मुझसे मौत ने पुछा मै आंऊगीं तो कैसे स्वागत करोगे.. कहा मैने फूल बिछा कर पूछूंगा इतनी देर कैसे लगी….?

वक्त सिखा देता है

वक्त सिखा देता है इंसान को फ़लसफ़ा जिंदगी का फिर नसीब क्या-लकीर क्या-और तकदीर क्या

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