याद आने की वज़ह

याद आने की वज़ह बहुत अज़ीब है तुम्हारी …. तुम वो गैर थे जिसे मेने एक पल में अपना माना !!

मुझे अपने लफ़्जो से

मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है, ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था…

उसने मुझे एक बार

उसने मुझे एक बार क्या देखा ।। हमने सौ बार आऐना देखा।।

मैं कर तो लूँ

मैं कर तो लूँ मुहब्बत फिर से मगर याद है दिल लगाने का अंजाम अबतक|

इतना कमाओ की..

जिंदगी मे बस इतना कमाओ की.. जम़ीन पर बैठो तो.. लोग उसे आपका बडप्पन कहें.. औकात नहीं…..

वो बर्फ़ का

वो बर्फ़ का शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा.. धीरे धीरे, खुद-ब-खुद शराब हो गया….

हम आईना हैं

हम आईना हैं, ……. आईना ही रहेंगे,….. फ़िक्र वो करें, ……. जिनकी शक्ल में कुछ …… और दिल में कुछ और है…

सख़्त हाथों से

सख़्त हाथों से भी…. छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं…. तमीज़ से थामे जाते हैं…

बेबस सी ऑंखें

बेबस सी ऑंखें ढूंढ रही है तुमको.. काश कि इस दुनिया में तुम ही तुम होते|

जिंदगी किस्मत से

जिंदगी किस्मत से चलती है दोस्तों, दिमाग से चलती तो अकबर की जगह बीरबल बादशाह होता !!

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