दर्द का क्या है

दर्द का क्या है, जरूरी नहीं चोट लगने पर होता है। दर्द वहाँ अक्सर दिखता है, जहाँ दिल में अपनापन होता है।।

तुम बस अपने दिल को

तुम बस अपने दिल को संभालो साहब … कहीं मेरे अल्फ़ाज़ तुम्हें दिल का मरीज़ ना बना लें…

मुस्कान के सिवा

मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर चेहरे पर..! मेरी फ़िक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर..!!

वो चीज़ जिसे

वो चीज़ जिसे दिल कहते है वो भूल गया में रख कर कही

ये कहकर वो दिल में

ये कहकर वो दिल में आग लगाये जाते हैं कि….चिराग़ ख़ुद नही जलते जलाये जाते हैं…!!

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…

होगी जरूर फूंक की

होगी जरूर फूंक की भी कुछ कीमत, वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है …।।

मैं बहुत सीमित हूँ

मैं बहुत सीमित हूँ,अपने शब्दों में, लेकिन बहुत विस्तृत हू अपने अर्थों में….!!

वक़्त सबको मिलता है

वक़्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने के लिये पर जिंदगी दोबारा नहीं मिलती वक़्त बदलने के लिये।

दर्द का क्या है

दर्द का क्या है, जरूरी नहीं चोट लगने पर होता है। दर्द वहाँ अक्सर दिखता है, जहाँ दिल में अपनापन होता है।।

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