सच ये है

सच ये है पहले जैसी वो चाहत नहीं रही… लहजा बता रहा है मोहब्बत नहीं रही..

सुना है हमें

सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं… तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं..

शायरी उसी के लबों पर

शायरी उसी के लबों पर सजती है मेरे दोस्त….. जिसकी आँखों में इश्क़ रोता हैं ..!!!

मोहब्बत है गज़ब

मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है, बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में…

हमने देखा था

हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे||

उसने पूछा की

उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो, हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन|

न तो धन छुपता है

न तो धन छुपता है न मोहब्बत , जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते

तुम्हारी नाराजगी बहुत

तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है… मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !

रूक गया है

रूक गया है आसमां मेँ चाँद चलते चलते . . . . तुमको अब छत से उतरना चाहिए . . . .

हमारी मोहब्बत करने की

हमारी मोहब्बत करने की अदा कुछ और ही है , हम याद करते है उसको जिसने हमें दिल से निकाल रखा है…

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