तुम मुझे फरेब दो

तुम मुझे फरेब दो और मैं प्यार समझूं उसे अब इतना सादगी का ज़माना नहीं रहा…

वो शख़्स जो

वो शख़्स जो आज मुहब्बत के नाम से बौखला गया,,, किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था..

जब भी बाहरी दुनिया से

जब भी बाहरी दुनिया से दुख मिले तो हमारे पास आ जाओ__ इज्जत मुफ्त में और मोहब्बत बेपनाह मिलेगी..!

कागज कोरा ही

कागज कोरा ही रहने दीजिऐ वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !

काफी दिनों से

काफी दिनों से, कोई नया जख्म नहीं मिला; पता तो करो.. “अपने” हैं कहां ?

अलविदा कहने में

अलविदा कहने में उसने जिंदगी का एक पल खोया…. हमने एक पल में पूरी जिंदगी खो दी|

कुछ न कुछ

कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब… अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…

रह रह के ताजा

रह रह के ताजा हो जाते हैं जख्म , हवा भी मजाक करती है खिड़कियों के सहारे…

दिल की कीमत

दिल की कीमत तो मुहब्बत के सिवा कुछ ना थी… जितने भी मिले सूरत के खरीद्दार मिले…

अजीब होती हैं

अजीब होती हैं मोहब्बत की राहें भी … रास्ता कोई बदलता है .., मंज़िल किसी और की खो जाती है ..

Exit mobile version