ये भी क्या सवाल हुआ

ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, .दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!

आँखों की दहलीज़ पे

आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….

चुपचाप गुज़ार देगें

चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी, लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है।

तुम्हारी याद की

तुम्हारी याद की शिद्दत में बहने वाला अश्क ज़मीं में बो दिया जाए तो आँख उग आए..!!

मुमकिन नहीं है

मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना, मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।

हम ने भी कह दिया

हम ने भी कह दिया उनसे की बहुत हो गयी जंग बस.. बस ए मोहब्बत तुझे फ़तेह मुबारक मेरी शिक्स्त हुई।

कहीं फिसल न जाऊं

कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते, अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है !!

आईना आज फिर

आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया, दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया|

वो दुआएं काश

वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती, ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!

हम मोहब्बत में

हम मोहब्बत में दरख़्तों की तरह है..जहाँ लग जायें वहीं मुद्दतों खड़े रहते हैं!!!

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