तेरे एक-एक लफ्ज़ को

तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने, चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातो ने !!

मुजे ऊंचाइयों पर देखकर

मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग, पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..

इस दौर ए तरक्की में..

इस दौर ए तरक्की में…जिक्र ए मुहब्बत. यकीनन आप पागल हैं…संभालिये खुद को

देखेंगे अब जिंदगी

देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट, हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं।

तंग सी आ गयी है

तंग सी आ गयी है सादगी मेरी मुझसे ही के हमें भी ले डूबे कोई अपनी अवारगी में..!!

इस शहर में

इस शहर में मज़दूर जैसा दर-बदर कोई नहीं.. जिसने सबके घर बनाये उसका घर कोई नहीं..

हर बार रिश्तों में

हर बार रिश्तों में और भी मिठास आई है, जब भी रूठने के बाद तू मेरे पास आई है !!

अब इस से बढ़कर

अब इस से बढ़कर क्या हो विरासत फ़कीर की.. बच्चे को अपनी भीख का कटोरा तो दे गया..

तुझसे मिलता हूँ

तुझसे मिलता हूँ तो सोच में पड़ जाता हूँ.. के वक्त के पाँव में जंजीर पह्नाऊ कैसे..

ये सगंदिलो की दुनिया है

ये सगंदिलो की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब, यहाँ पलकों पर बिठाते है, नजरों से गिराने के लिए…

Exit mobile version