आराम से तनहा कट रही थी

आराम से तनहा कट रही थी तो अच्छी थी.. जिंदगी तू कहाँ दिल की बातों में आ गयी ।

क्या करूंगा मैं

क्या करूंगा मैं तेरे शीशमहल में आकर…..! जितने तेरे आईने हैं, उतने मेरे चहेरे भी नहीं…..!!

सोचो तो क्या लम्हा

सोचो तो क्या लम्हा होगा, बारिश……छतरी…तुम…और मैं…..!!!!

कभी कभार की

कभी कभार की मुलाक़ात ही अच्छी है, कद्र खो देता है रोज रोज का आना जाना !!

कभी तो मेरी ख़ामोशी का

कभी तो मेरी ख़ामोशी का मतलब खुद समझ लो….! कब तक वजह पूछोगे अंजानो की

आज उस हद तक

आज उस हद तक सिर्फ दर्द ही दर्द है…. जिस हद तक उससे मोहब्बत की थी….

जिंदगी अब नहीं संवरेगी

जिंदगी अब नहीं संवरेगी शायद..तजुर्बेकार था.. उजाड़ने वाला…

जिंदगी की राहों में

जिंदगी की राहों में मुस्कराते रहो हमेशा ! क्योंकि, उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, पर, हमसफ़र नहीं !

पेड़ भूडा ही सही

पेड़ भूडा ही सही घर मे लगा रहने दो, फल ना सही छाँव तो देगा

एक पहचानें कदमों की

एक पहचानें कदमों की आहट फिर से लौट रही है, उलझन में हूँ जिंदगी मुस्कराती हुई क्यूँ रूबरू हो रही है…

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