बाहें डाल कर , मेरी गर्दन तो नाप ली, अब फन्दे मोहब्बत के , बनाना शुरू करो..!
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गुनाहगार को इतना
गुनाहगार को इतना. पता तो होता हैं ज़हा कोई नही होता खुदा तो होता हैं|
जिएँ तो अपने बग़ीचे में
जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए
जहा शेरो पर चुटकलों सी
जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो… वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…
ए खुदा मौसम को
ए खुदा मौसम को इतना रोमांटिक भी ना कर कुछ लोग ऐसे भी है जिनका मेहबूब नहीं
मैं ढूढ़ रहा था
मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर, नशा निकला नकाब के अंदर .!!
तुमको देखा तो मौहब्बत भी
तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे…!!
रोज़ आते है
रोज़ आते है बादल अब्र ए रहेमत लेकर मेरे शहर के आमाल उन्हे बरसने नही देते|
ज़ायके सैंकड़ों मौजूद थे
ज़ायके सैंकड़ों मौजूद थे लेकिन हम ने !! हिज्र का रोज़ा तेरी याद से इफ़्तार किया !!
तुझे रात भर
तुझे रात भर ऐसे याद करता हूँ मैं जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।