मैंने कब तुम से

मैंने कब तुम से मुलाकात का वादा चाहा, मैंने दूर रहकर भी तुम्हे हद से ज्यादा चाहा|

लफ़्ज़ों में बयाँ करूँ

लफ़्ज़ों में बयाँ करूँ जो तुम्हे , इक लफ्ज़ मुहब्बत ही काफी है|

दौर वह आया है

दौर वह आया है, कि कातिल की सज़ा कोई नहीं , हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं|

रूह के रिश्तों की

रूह के रिश्तों की यही खासियत रही है.. महसूस हो ही जाती है जो बात अनकही है…!!

मेरी ज़िन्दगी में

मेरी ज़िन्दगी में तेरी याद भी उसी तरह है, जैसे सर्दी की चाय में अदरक का स्वाद

क़यामत है उसने

क़यामत है उसने नज़र भी मिलाई हमें लग रहा था कि बस बात होगी|

मुमकिन नहीं के

मुमकिन नहीं के तू हो मुकम्मल मेरे बगैर !! ए ख्याल-ए-यार मेरे संग संग चल……!!

तेरे ना होने से

तेरे ना होने से कुछ नहीं बदला, बस कल जहाँ दिल होता था आज वहाँ दर्द होता है ……!!

मेरे वजूद मे

मेरे वजूद मे काश तू उतर जाए मे देखु आईना ओर तू नजर आए तू हो सामने और वक्त्त ठहर जाए, ये जिंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुजर जाए

कांच के कपड़े

कांच के कपड़े पहनकर हंस रही हैं बिजलियां उनको क्या मालूम मिट्टी का दीया बीमार है…

Exit mobile version