ऐरे गैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों… आपको औरत नहीं अखबार होना चाहिये…
Tag: Hindi Shayri
जिंदगी कब तलक दर दर
जिंदगी कब तलक दर दर फिरायेगी हमें…. टूटा फूटा ही सही घर बार होना चाहिये…
रात होने से
रात होने से भी कहीं पहले….चाँद मेरा नजर तो आया है…
जख्म कैसे दिखाऊं
जख्म कैसे दिखाऊं ये तुमको…. सबने मिल के मुझे सताया है…
दर्द दे तो गया है
दर्द दे तो गया है आशकी का….हर तरफ आंसुओं का साया है…
किस तमन्ना से
किस तमन्ना से तुझे चाहा था… किस मोहब्बत से हार मानी है…
तेरे कूचे में
तेरे कूचे में उम्र भर ना गए…सारी दुनिया की ख़ाक छानी है…
ये जो भी आज
ये जो भी आज हाल है… सब तेरी ही मेहरबानी है…
अब में क्यों तुझे
अब में क्यों तुझे प्यार करता हूँ… जब तेरे शहर से गुज़रता हूँ…
तेरी रुसवाइयों से
तेरी रुसवाइयों से डरता हूँ… जब भी तेरे शहर से गुज़रता हूँ…