रात को अक्सर

रात को अक्सर ठीक से नींद ही नहीं आती, घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ।

बस तेरी ख़ामोशी

बस तेरी ख़ामोशी जला देती है मेरे दिल को , बाकी सब अंदाज़ अछे है तेरी तस्वीर के . . .

मेरी आँखों में

मेरी आँखों में आँसू की तरह एक रात आ जाओ, तकल्लुफ से, बनावट से, अदा से…चोट लगती है।

मोहब्बत का राज

मोहब्बत का राज उस वक़्त खुल गया, दिल जब उसकी कसम खाने से मुकर गया।

गुज़रे इश्क़ की

गुज़रे इश्क़ की गलियों से और समझदार हो गए, कुछ ग़ालिब बने यहाँ कुछ गुलज़ार हो गए।

अपनी मौजूदगी का

अपनी मौजूदगी का एहसास दिला दिया कर, थक गया हूँ शायरियां करते-करते।

क्या इल्जा़म लगाओगे

क्या इल्जा़म लगाओगे मेरी आशिकी पर, हम तो सांस भी तुम्हारी यादों से पूछ कर लेते है..

किसी मासूम बच्चे के

किसी मासूम बच्चे के तबस्सुम में उतर जाओ,,,, तो शायद ये समझ पाओ, की ख़ुदा एैसा भी होता है

बात मिज़ाज़ो की है

बात मिज़ाज़ो की है कि गुल कुछ नही कहते वरना कभी कांटों को मसलकर दिखलाइये..

कब गुरुर बढ जाए ..

आईने का जाने कब गुरुर बढ जाए … पत्थरों से भी दोस्ती निभाना जरुरी है..

Exit mobile version