मुझे परखता कौन है।

हालात है..वक़्त है..या खुदा है| ये रह रह के मुझे परखता कौन है।

बड़े अजीब हैं

बड़े अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते, अनजाने मोड़ पर कुछ लोग दोस्त बन जाते हैं. मिलने की खुशी दें या न दें, बिछड़ने का गम जरुर दे जाते हैं…!!

बड़ी चुगलखोर हैं

बड़ी चुगलखोर हैं खामोशियाँ तुम्हारी सब बता देती हैं जब तुम खामोश होते हो !!

फिर छीन रखे हैं

फिर छीन रखे हैं होश हवास यादों ने उनकी यहीं हाल रहा तो इक दिन फ़ना हो जायेंगें हम |

कितना खुशनुमा होगा

कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी… जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे.

किस खत में

किस खत में रखकर भेजूं अपने इन्तेजार को , बेजुबां है इश्क़ , ढूँढता हैं खामोशी से तुझे

खामोश सा माहोल

खामोश सा माहोल और बैचन सी करवट हैं,ना आँख लग रही हैं, ना रात कट रही हैं…

इनकार की वजह

तेरे इनकार की वजह बता दे बस……..! कसम तेरी.. ज़िन्दगी लुटा दूँगा उसे सुधारने में..

हाथों की लकीरों से

अपने हाथों की लकीरों से ना निकल मुझे.! बड़ी शिद्दत से मैने तेरी इबादत की है.!!

अदालत चलती है

कागज पे तो अदालत चलती है, हमें तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर है..!!

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